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यही तो है जिन्दगी / मन प्रसाद सुब्बा
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कागज का एक कोरा पन्ना है यह जिंदगी
जिसमें एक छोटा लड़का
काल्पनिक चित्र खींचने की कोशिश कर रहा है
पेंसिल से रगाडकर
और फिर इरेजर से
घिसता-मिटाता
खींचते-मिटाते
पेंसिल भोथरी होने पर नुकीली बनाकर
फिर खींचता और मिटाता
हैरान होने तक यह क्रम दोहराता
चित्र अंकित होने की जगह अब तो
कागज में ही
इरेजर से
छेद होने लगा है
चित्र खींच रहे बालक की जिंदगी में भी अब
छेद होने
और अपंग होने का डर है
इतना ही नही
पेंसिल भी अब
हाथ में न आने जैसी
ठूंठी हो गयी है
एक और हँसी की बात
कि चित्र खींच रहा बालक भी
जैसे सफेद बाल वाला बूढ़ा हो गया है
मूल नेपाली से अनुवाद: बिर्ख खड़का डुबर्सेली