Last modified on 6 जनवरी 2008, at 06:14

आँसू बाँधे है मैंने / त्रिलोचन

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:14, 6 जनवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोचन |संग्रह=सबका अपना आकाश / त्रिलोचन }} आँसू बाँध...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आँसू बाँधे मैंने गठरिया में


अपने भी है और पराए भी हो ये

उपराए है तो तराए भी हे ये

आप आ गये है बराए भी है ये

साधे है मै ने कन कन डगरिया में


देखा ये पत्थर के ऊपर चुए है

चुपके से चूचू कर चूप हुए है

सूने में अटके अभी अनछुए है

कांधे है मैं ने बढ़ के नगरिया में


(रचना-काल -20-2-62)