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का भऔ बात बतातई नईंयाँ / महेश कटारे सुगम

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का भऔ बात बतातई नईंयाँ
कोउ हमें समझातई नईंयाँ

कैसी आग लगी दुनियाँ में
बढ़ रई और, निजातई नईंयाँ

बातें बड़ी-बड़ी हो रईं तीं
का भऔ कितऊँ दिखातई नईंयाँ

रोज उपद्रे वारी बातें
का सुख-चैन सुहातई नईंयाँ

मारकाट हड़तालें दंगा
इनसें कभऊँ अघातई नईंयाँ

का कानून-कायदा कैसौ
इनखौं सुगम दिखातई नईंयाँ