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बचनें है खेंचातानी सें / महेश कटारे सुगम
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बचनें है खेंचातानी सें
काम निकारौ आसानी सें
हुईंयें कोउ हमें का करनें
टाटा बिरला अम्बानी सें
रूखौ सूकौ खाकेँ रैहें
बच हैं मनौ मेहरबानी सें
हक तौ अपनौ पूरौ लेंहें
लड़-भिड़ कें बोली-बानी सें
खुशबू भात<ref>अच्छी लगना</ref> पसीना वारी
नईंयाँ काम इतरदानी सें
इमरत<ref>अमृत</ref> पियौ अमर हो लो तुम
काम चला लें हम पानी सें
शब्दार्थ
<references/>