Last modified on 8 जनवरी 2008, at 13:33

इकला चांद / केदारनाथ अग्रवाल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:33, 8 जनवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=फूल नहीं रंग बोलते हैं-1 / केद...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इकला चांद

असंख्य तारे,

नील गगन के

खुले किवाड़े;

कोई हमको

कहीं पुकारे

हम आएंगे

बाँह पसारे !