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31 से 40 / कन्हैया लाल सेठिया

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31.
बुरी भांग तमाख, बुरो सुरा रो सेवणो
नशो भजन रो राख, रंग राचैळो रमणियां।

32.
लाग्यां लातां थाप, नीच हुवै सीधा सणक
काठ होय ज्यूँ साफ, रंदो लाग्यां रमणियां।

33.
दै गरीबा नै दान, यदि मिळणो चावै राम स्यूँ
तज झूठो कुळ मान, राम मिलैलो रमणियां।

34.
धार चित्त में धीर, औगुण स्यूँ गुण टाळ तू
पय पीवै तज नीर, राजहंस ज्यूँ रमणियां।

35.
क्यों झूठा गाळो हाड, चिन्ता में गळ गळ मरो
देसी छाप्पर फाड़, रंज करो किम रमणियां।

36.
मन ढीलो मत छोड, वश राखो काठो पकड़
मन है बांको घोड़, रास बिना रो रमणियां।

37.
सीसोदां मेवाड़, कछवाहा जैपर बसै
थळी देश मरवाड़, राठौड़ी में रमणियां।

38.
बरस हुया है तीन, छांट एक बरसे नहीं
मिनख बिकल ज्यूँ मीन, रासो काई रमणियां।

39.
जाय भलां ही जीव, वचन कदै छोड़ै नहीं
इसड़ा राखै हीव, राजस्थानी रमणियां।

40
पिक-वायस इक सार, दोन्यां में है फरक के
(पण) बोळी स्यूं पहचाण, रंग करै के रमणियां ?