दल-बंधा मधुकोष-गन्धी फूल
मन्दिर मौन का है,
- रूप, जिसकी अंजली से,
काल की साँकल हटा कर खुल गया है ।
रश्मियों का राग-रंजित
- रथ यहीं पर रुक गया है ।
गन्ध पीने के लिए
- नभ भी यहाँ पर झुक गया है ।
दल-बंधा मधुकोष-गन्धी फूल
मन्दिर मौन का है,
काल की साँकल हटा कर खुल गया है ।
रश्मियों का राग-रंजित
गन्ध पीने के लिए