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चन्दा मामा / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
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चन्दा मामा दौड़े आओ,
दूध कटोरा भर कर लाओ ।
उसे प्यार से मुझे पिलाओ,
मुझ पर छिड़क चाँदनी जाओ ।
मैं तैरा मृग छौना लूँगा,
उसके साथ हँसूँ खेलूँगा ।
उसकी उछल कूद देखूँगा,
उसको चाटूँगा चूमूँगा ।