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थां बिन / राजू सारसर ‘राज’

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अबै ई
मत मांग
काळ-सी सीख
म्हारा भायला
ठैर !
जद तांई
थूं अर म्हैं
नीं हो जावां ‘आपां’
अेकाकार
मत आतमा सूं
दूध पाणी ज्यूं।
नींतर रैय जावांला
अेकल होंवतां थकां ई
दोय न्यारा निरवाळा
ओस रै टपकां ज्यूं।
बिलखतै तारां रै।
तूटणैं ज्यूं।
सैवणों पड़ैलो
दरद रो दंस
अेकला अेकला नैं
निरवाळो-निरवाळो
दिन राज ज्यूं।