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पारखी दीठ / राजू सारसर ‘राज’

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घणाई है
आंगळी सीध कर’र
घर बतावणियां
मुंडागै
कूड़ी-मिजली
संवेदणां
जतळावणियां !
बळती में
भीडू बणैं
बै जोया नीं लाधै
उण वैळा
ठाह पड़ै
आपणैं
अर ओपरै रो
पिछाण खातर
चाईजै
पारखी दीठ
मोह रो पसराव।