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गांव / राजू सारसर ‘राज’

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आंख्या रा आडा
ओढाळ ताई
मंडै चितराम
अैक सोनळ अतीत रा
बो ई जांण्यों-पिताण्यौ गांव
अर
उण पिणघट
पाणी भरती पिणहारयां
बै भोळा-ढाळा लोगां रा
घुंधळका -सा चे’रा
पड़ता-उठता भाजता
टाबर
कच्चे दरूजै मैं
बैठी, किणी री उडीक में
मिरगैनैणी री आंख्यां।
रूंख रै ओळै-दोळै
कसीजता डांगर
जाणैं बरसां रा बिछड़िया
सैण मिलै गळै
घाल’र गळबांथ।
घरां सूं बारै
टोळ्यां मंे रमण
नीसरेड़ै नैनकियै टाबरां नैं
बुलावण सारू
बारणै आडै चूंतरी रै कनै
खड़ी लुगायां
देखै लुळ’र अठी-उठी
आंगळयां सूं
आंख्यां साम्हीं ओढणियौ ताण।
खेतां सूं बावड़ता
हाळयां रा झूंतरा
कांधै हळ, हालता होठ
जाणै मूमळ गावंता आवै
कै तेजै कंवर री टेर लगावै
मिंदर रै गुमट
मसीत री मीनार
बैठया पांखीड़ा रा जोड़ा
जाणै कैंवता होवै
म्है हां अल्ला अर
राम रा समदरसी।
गुवाड़ आळै बूढ़कियै
बड़लै री छिंया
चूंतरै पर बिछ्यौड़ी
जाजम सामटीज रैई है
जठै रमी है
चौपड़ आखै दिन
टाल्ली रै टणकारै
गांव में बावड़तै अेवड़ सूं
सुगणी सिंज्या री सरगम.....।
मोटर रै घर्राटै सूं
खुल जावै आंख्यां
तूट जावै विचारां रो तार
अर रहस आं रै
बदळ जावण रो
गम जावै अै चितराम
भळै कठै ई अतीत में।