Last modified on 28 जनवरी 2015, at 17:36

आस्था / राजू सारसर ‘राज’

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:36, 28 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजू सारसर ‘राज’ |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


म्हारी
आस्था माथै
वै’म कर’र
करै अनरथ
क्यूं बिरथा
मिंदरां-मसीतां-गिरजां में
माथौ निवावणै सूं ई फगत
कोई नीं बण जावै आसतिक
हो जावै पण ष्
मिणख संकड़ै
दायरै में कैद
तण जावै
माथौ गुमेज सूं
निज रौ
देव लागै
बडौ दूजां सूं
म्हूं
सीकारू
उण परम सगती
सरबसगतीमान रो
असतितव
माणस रै माणस
हौवणै में
अर
निवा देऊं माथौ
पूरी सिरधा सूं।
नेह-न्हाया
सबदां री पराथना साथै
जिण रो
कोई थान कोनी
कोई ऐनाण कोनी
आतमा सूं आळगौ।