Last modified on 31 जनवरी 2015, at 11:21

कई रेती में पीपल छाया / मालवी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:21, 31 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=मालवी }} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कई रेती में पीपल छाया
कई गेरा कुंडा खणाया
हो म्हारा गेरा गजानन्द आया
कई दाऊजी रे मन भाया
कई माता बई हरक बवाया
म्हारा गेरा गजानन्द आया
कई काकोजी रे मन भाया
कई काकीजी मोतीड़े बदाय।
कई भैया रे मन भाया
कई भाभी बई कंकूड़े बदाया
कई मामाजी रा मन भाया
कई मामाजी हिदड़े बदाया