भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आदमियों के / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:27, 9 जनवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=आग का आईना / केदारनाथ अग्रवा...)
आदमियों के
जेब कतर लेते हैं
बढ़े-चढ़े मूल्यों के उपन्यास
आँख से पढ़ कर
दिल और दिमाग से
भोगना पड़ता है संत्रास
(रचनाकाल :26.11.1968)