Last modified on 26 फ़रवरी 2015, at 16:43

ओ घर नीं चावै / वासु आचार्य

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:43, 26 फ़रवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वासु आचार्य |संग्रह=सूको ताळ / वास...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इण सूं पैला
क नींव रै भाटा मांय
मचै खळबळी
आपरी अणदबती पीड़ सूं
अर उठै चीख्यां चीस्याड़ां

मौटे भाटा रै
उळझ्यौड़ै
मकड़ी रै जाळै ज्यूं
ताणै बाणै सूं

इण सूं पैला
कडुसका भरती
लाचार हुय‘र
तिड़कण लागै भीत्या
कांपण लागै आंगण

अर धूजण‘ई ज लागै
पूरो रो पूरो घर
फैर-लौईन्दै मांय
बां नै
संभळणौ
अर संभाळणौ‘ई पड़सी
ओ घर
बै जिका
उजाळै रा आगीवाण है
बै जिका
रोसनी रा पुंज
जाणै है खुदनै

ओ घर-ओ जुनौ घर
आपरै पुराणै बगत रो
सिरैमौर घर
अबै चावण लागग्यौ है
आपरो फूटरौ-फरौ चै‘रौ-मैरौ
अेक खरै संकल्प सागै

ओ घर नी चावै
पाछौ-फैरूं
अंधारै मांय डूबणौ