भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
झिलमिलायौ सौनलियौ पुसब / वासु आचार्य
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:08, 28 फ़रवरी 2015 का अवतरण
घणी ....दूर सूं-गूँज गूँज आई
कानां रै असवाड़ै पसवाड़ै
परभाती री-मधरी मधरी धुण
अळसायै-अळसायै
खोल दी आँख्यां
खर्राटा भरतै जंगळ
जागग्यौ-सूतौ जंगळ
झिलमिलायै
नीलै ताळ रै तळे
अँजळीभर-रगतबरण
सौनलियो पुसब
खिलखिलाई-ठंडी मधरी पून
बैयगी फुदकती
चिड़कली ज्यूं
हरहराया-हिलौरा सूं
हर्भर्या पेड़
थिरकण लागग्या
लैर‘दार लैरिया-कैसरियां धौरा
न्हांयलियौ रूं रूं
लै‘र लै‘र लैरावती
गंगारी लैर्या सागै
लै‘र लैर‘....
लै‘र लै‘र...
आज रौ दनुगौ