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भालू जी / दीनदयाल शर्मा
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ढोलक बाजे ढम ढम ढम
नाचे भालू जी छम छम
दो पैरों पर खड़ा हो गया
ता-ता थैया ता-तिकड़म
दरख़्त पर चढ़ जाए उल्टा
खा के शहद ही लेता दम
लेट जाए धरती पर लटपट
आए न इसको कभी शरम
घने बाल ज्यों ओढ़ा कम्बल
सरदी का इसको ना ग़म.....