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छिड़िआयल मोती / चन्द्रमणि

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घर फूटय लूटय गँवार से जगभरि के नहि जान
तदऽपि दुःखित छथि माय अछैतै चारि कोटि संतान।
लाला औ लाला कमाल छी औ मोची
यादव कि मुल्ला हजाम आ कि सोती
आनि धेने राजपूत बाभन बभनोती
लड़ब अहाँ दुश्‍मन सुतारि लेत गोटी।
लड़ब अहाँ.....
सीताके आंगन अशांति अखाड़ा
माइक सिनेह जातिगत बँटबारा
शंकर के डमरू जे बमबम बजै छल
लगबैये हम-हम आ तू-तू के नारा
ममता जे माइक छै तै पर भेल खतरा
रंगिदे रंगरेजबा रे लाल रंग धोती
लड़ब अहाँ...
देखू मजा मारि रहलै बेइमान
रहलैये कानि छै जकरा ईमान
बहिरा नाचै अपनहि ताल
कनही गाइक भिन्नहि बथान
ककरो मुँह पूब आ ककरो छै पच्छिम
देखू ने सब ले सब बान्है लंगोटी
लड़ब अहाँ...

सलहेशक रोब आ‘ लोरिक के शान
जननी आ‘ जन्मभूमि स्वर्ग के समान
बूझय ई बात से सरिपहूँ सपूत
मण्डन अयाची तें बनला महान
टूटल अछि ताग तें छिड़िआयल हम छी
सागर सन मिथिलाक सब गोट मोती-लड़ब अहाँ