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सुनै गे बहिना ! / चन्द्रमणि

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सुनै गे बहिना!
परदेषियाके अबिते सजैब अंगना।
अवगाहनमे खनकि रहल कर-कंगना।। हे सुनै...
घीचल छै फोटो पियाके जइ आँखिमे
कठरामे कजरा लगेबै
टिकुली लगाय केषखोपा सजायके
माथामे गजरा सजेबइ
देहरि पर चौमुख दिया बारि रखबै
अंचरेसँ झाड़ब सगर अंगना।। हे सुनै....
प्रीत भरल गीत अनघोल
करत गामघर चुनुकि-चुनुकि चिड़िया पमरिया
रहि-रहि कऽ गरजि-गरजि आबने
डेराओत साओन केर कारी बदरिया
अंग-अंग रभस रंग मादक बसंत केर
नाँचत मयूर छन ननन ना। सुनै.....
प्रियतम सँ मिलबाक आतुर विकल मन
तइयो मुँह फेरि, हँसि बैसबइ
बिछुआ न बाजय तें हाथ सँ गछारिकऽ
देरीमे कनखी सँ तकबइ
घोघे पलटि पिया हिरदय लगओता
तखनहिटा बूझब साकार सपना।। हे सुने....