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बुढ़बा कमाल केलकै / चन्द्रमणि
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ई फगुआ ने ककरा बेहाल केलकै
छौड़ा सँ बुढ़बा कमाल केलकै।।
दम आ ने दुस्सा सुखायल सन कटकी।
सत्तरि बरखमे ई बूढ़ मारै मटकी।।
भांग पीबि बुढ़बा बवाल केलकै।
धोती के फाड़िकऽ रूमाल केलकै।।
दोख थिकै फगुआके दोख नहि ककरो।
छौड़ा खाय छाल्ही तऽ बूढ़ कहै हमरो।।
बुढ़बा तऽ आइ रंगताल केलकै।
साड़ी पहीरि गाल लाल केलकै।।
रम्भा आ‘ रूकमिनिक झुण्ड चलै जेम्हरे।
जानि-जानि बुढ़बा टगैत देखू तेम्हरे ।।
सबटा जुलुम ई गुलाल केलकै।
बूढ़क जुआनी बहाल केलकै।।