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प्रयाण गीत / चन्द्रमणि

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रे प्राण! सहटि आ मुट्ठीमे छी वीर-पथक अनुगामी हम
आजाद भगतसिंह गाँधी सन बलिदानी नामी गामी हम।। रे प्राण....

हम बाजि सकीने बात अपन मुँहमे जौं लागय जाबी
तइयो जौं चुपचाप रही छोड़ी पुरूषार्थक दाबी
आबाद रहब आजाद रहब छी टटका एकर पिहानी हम।
आजाद....

बुद्धक संततिकें कायर जौं बूझय ककरो थिक भूल
मीतक हम छी मरितो दमतक दुश्‍मन ले काल त्रिषुल
जे आँखि देखाओत फोड़ि देबै नहि चुकब सटीक निषानी हम
आजाद....

जे दुष्ट बढ़ाओत डेग मरत हम फूल बनब चिनगोरा
छी धन्य समर्पण कय तन-मन मा कल्याणी केर कोरा
छी पुत्र षिवाजी राजगुरू बेटी झाँसीकेर रानी हम
आजाद...

अलसायब जौं पछतायब तौं नहि होइछ जनम दोबारा
संकल्प हमर जुटि-जुटिकऽ रहब दोसर नहि कोनो चारा
निद्रा त्यागी आबहु जागी पछुआयब निज किरदानी सन
आजाद....