भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अतना गुमान काहे / सूर्यदेव पाठक 'पराग'
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:33, 30 मार्च 2015 का अवतरण
अतना गुमान काहे
जिनगी झँवान काहे
अँखिया झरे अनेरे
ई अर्ध्यदान काहे
कइले मिरी हमेशा
अफरा में प्रान काहे
जब आचरण सही ना
पवलऽ तू ज्ञान काहे
नजरो से देखला पर
अउरी प्रमान काहे
लिखिहें ‘पराग’ मन से
पइहें ना मान काहे