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अनुपात / सुधीर सक्सेना
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ज़िन्दगी
ज़िन्दगी है
अगर है वहाँ ढेर सारा क्षार ।
मगर,
क्या कहना ज़िन्दगी का,
अगर वहाँ हो ढेर सारा क्षार
और थोड़ा-सा तेज़ाब ।