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तूतनख़ामेन के लिए-16 / सुधीर सक्सेना

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आज भी

बला का ख़ूबसूरत

और दर्शनीय है

तूतनखामेन ।


इतना जीवन्त

कि अब बोला, तब बोला,

अब मुस्काया, तब मुस्काया,


चुटकी बजाई किसी ने

कि आँखें खोल दीं

तूतनखामेन ने


वल्लाह

कमाल है कीमियागरों का

बहुत ख़ूब

ख़ूब ख़ूब इनाम के हक़दार हैं कीमियागर

मक़बरे के वास्तुविद


सब कुछ कमाल का किया

कीमियागरों ने

बत्तीस सौ साल से

यथावत है

तूतनखामेन


वक़्त बदला

बत्तीस सौ साल बाद


मक़बरे के अंधेरे से निकल

अजायबघर के उजाले में चला गया

तूतनखामेन ।


मौत के अंधे घेरे से निकल

मौत के उजले घेरे में चला गया

तूतनखामेन


बत्तीस सौ साल मक़बरे में सोने के बाद

बत्तीस सौ साल अजायबघर में

सोता रहेगा इसी तरह

तूतनखामेन