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छोटे छोटे घर जब हमसे लेता है बाजार / 'सज्जन' धर्मेन्द्र

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छोटे छोटे घर जब हमसे लेता है बाजार।
बनता बड़े मकानों का विक्रेता है बाजार।

इसका रोना इसका गाना सब कुछ नकली है,
ध्यान रहे सबसे अच्छा अभिनेता है बाजार।

मुर्गी को देता कुछ दाने जिनके बदले में,
सारे के सारे अंडे ले लेता है बाजार।

कैसे भी हो इसको सिर्फ़ लाभ से मतलब है,
जिसको चुनते पूँजीपति वो नेता है बाजार।

ख़ून पसीने से अर्जित पैसों के बदले में,
सुविधाओं का जहर हमें दे देता है बाजार।