भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मौसम और तुम / किरण मिश्रा
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:44, 9 अप्रैल 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=किरण मिश्रा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बरसात की रात है
या तुम्हारी मुहब्बत में भीगी ग़ज़ल
बदली में छिपता-निकलता चाँद
या उठती-गिरती तेरी नज़र
हवाओं के आँचल में सिमटी बून्दें
या तुम्हारी यादों को समेटे मेरी धड़कन
आ जाओ कि ये बताने
ये मौसम नही
तुम हो ।