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आनन्दोत्सव वसन्तोत्सव / किरण मिश्रा

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जीवन पति-पत्नी का
नहीं चलता ये एक सीधी रेखा में

हमारे और तुम्हारे बीच
वाचा के उग्रबाण होते है

जो रूपान्तरित होते है
यह रूपान्तरण हमेशा धनात्मक होता है

भरता है हमें
एकात्मकता व आनन्दोत्सव में

प्रेम को प्रखर करता है
तरंग-आवृत में स्पन्दन
बदल देता है आनन्दोत्सव वसन्तोत्सव में
आनन्दोत्सव वसन्तोत्सव में