Last modified on 14 अप्रैल 2015, at 18:56

चट्टानों के फूल / ग्योर्गोस सेफ़ेरिस

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:56, 14 अप्रैल 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ग्योर्गोस सेफ़ेरिस |अनुवादक=अनि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हरे सागर के ठीक सामने
खिले हुए हैं
चट्टानों के फूल

याद दिलाते हैं वे
उन प्रेमों की
धीमी बारिश की तरह मेरे रक्त में बसे हैं जो

चट्टान के फूल याद दिलाते हैं
उस समय की
जब कोई बात नहीं करता था मुझसे
सिर्फ़ बातें करते थे वे फूल ही

अब लम्बे मौन के बाद
मैं उन्हें छूना चाहता हूँ
चीड़ के पेड़,
कनेर की झाड़ियों,
और वृक्षों के बीच खड़े हो !