भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सोनो / निशान्त
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:43, 4 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह=धंवर पछै सूरज / नि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
ढळती उमर री
कमजोरी दूर करण सारू
बैद-हकीम बतावै
सोनै री भस्म
पण म्हनै लागै
कई दिन/फूलां आयोड़ै
तारैमीरै रै खेत में
बिचरूं तो
सागळी कमजोरी
दूर भाज सकै
पण कठै ’सू ल्याऊँ
इत्तो फक्कड़पणौ।