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ज़िन्दगी-ज़िन्दगी-3 / अर्सेनी तर्कोव्‍स्‍की

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मैंने युग को अपने मुताबिक़ बना लिया।
हम दक्षिण की ओर चल पड़े, स्तेपी पर धूल उड़ाते हुए;
लम्बी घास क्रोधित थी; टिड्डा नाचता था,
पहले उसने घोड़े की नाल को छुआ — फिर भविष्यवाणी की,
एक सन्त की तरह, कि मेरा नाश होने वाला है ।
मैंने अपनी तक़दीर को ज़ीन के साथ कस दिया;
और आज भी, इस आने वाले वक़्त में,
एक बच्चे की तरह रकाब में पैर डालकर खड़ा हूँ ।

मुझे अमरत्व मिला है तो बस,
मेरा रक्त एक युग से दूसरे युग तक प्रवाहमान रहेगा ।
मैं तब भी गरमाई भरे एक सुरक्षित कोने के लिए
अपना जीवन क़ुरबान करने को तैयार होता,
लेकिन जीवन की उड़ती हुई सुई
मुझे संसार में धागे की तरह पिरोती चली जाती है ।

(१९४२)

(रूसी मूल से किटी हण्टर-ब्लेअर और वर्जीनिया राउण्डिग के अँग्रेज़ी अनुवाद से अनूदित)