भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तूतनख़ामेन के लिए-28 / सुधीर सक्सेना

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:46, 19 जनवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर सक्सेना |संग्रह=काल को भी नहीं पता / सुधीर सक्सेन...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

असंभव शब्द

नहीं है नेपोलियन के

किसी भी शब्दकोष में


आल्प्स ने रास्ता रोका

तो आल्प्स नहीं रहेगा


असंभव को फटकने नही देगा नज़दीक

अपने वर्तमान में जीवित नेपोलियन

और आल्प्स को बेखटके पार कर जाएगी

नेपोलियन के पीछे-पीछे नेपोलियन की सेना


असंभव कहीं नहीं है

नेपोलियन के शब्दकोश में

असंभव है सिर्फ़

वर्तमान में मृत, भविष्य में जीते

तूतनख़ामेन के शब्दकोश में


नेपोलियन नहीं हो सकता तूतनखामेन,

कह नहीं सकता तूतनखामेन,

कि यदि ज़िन्दगी का रास्ता रोका मौत ने

तो मौत नहीं रहेगी


सदियों से मौत की ग़र्त में निढाल पड़ा है तूतनख़ामेन

सदियों से मौत खड़ी है

ज़िन्दगी और तूतनख़ामेन के बीच


इस लम्बे गलियारे को कभी भी

पार नहीं कर पाएगा

मरने के पहले ख़यालों में मरा

महान फराओह तूतनख़ामेन ।