ऐसे प्रनत पाल रघुराई
वेद-पुरान विदित महिमा अति संतन के सुकदाई।
राखी पत प्रहलाद भक्त की फटो खंभ अर्राई।
धर नरसिंध असुर संघारे पूरन भक्ति डिढ़ाई।
त्रेतायुग अवतार अवध में लीला ललित सुहाई।
तात मात ग्रह राजतिलक तज सुरहित वनहिं सिघाई।
जे जगदीन अधीन अधम अति सब कर विपत गमाई।
जूड़ीराम नाम रघुवर को भजमन तजि कुटलाई।