भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कीड़े / ओरहान वेली
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:12, 30 जून 2015 का अवतरण
सोचो नहीं
बस,
घूमो-फिरो
देखो,
कीड़े भी करते हैं
ऐसा।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह