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आदिवासी / कुमार अंबुज
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यदि मैं पत्थर हूँ तो अपने आप में एक शिल्प भी हूँ
जैसा मैं हूँ वैसा बनने में मुझे युग लगे हैं
हटाओ, अपनी सभ्यता की छैनी
हटाओ ये विकास के हथौड़े
मैं पत्थर हूँ, पत्थर की तरह मेरी कद्र करो
ठोकर जरा सँभलकर मारना
पत्थर हूँ ।