प्रिये !
उन आन्तरिक आत्मीय क्षणों में
तुम्हारा प्रतिक्रिया शून्य और
निष्प्राण पडा रहना
विचलित करता है मुझे
सोचता हूं
क्या सचमुच
तुम आधा अंग हो मेरा ?
या
शव आसन सी तुम्हारी मुद्रा में
वात्सायन के प्रभाव में
आधा अधूरा ही मै
कर रहा हूं
शव साधना