भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पहलवान चूहा / धीरेंद्र कुमार यादव
Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:19, 27 सितम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धीरेंद्र कुमार यादव |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बीच अखाड़े में आकर के
चूहे जी चिल्लाए,
है कोई जो कुश्ती लड़ने
आज सामने आए।
‘मुझसे लड़ लो’
बढ़कर बोली-
बिल्ली मौसी आगे।
भूल पहलवानी चूहे जी,
तुरत वहाँ से भागे!