Last modified on 30 सितम्बर 2015, at 06:21

पत्तों की दुनिया / सुरेश विमल

Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:21, 30 सितम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेश विमल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBaa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

लगते हैं केले के पत्ते
हाथी के से कान!

पीपल के पत्तों की होती
चूहे जैसी पूँछ,
ताड़-वृक्ष के पत्ते लगते
रावण की-सी मूँछ।

पात कमल के देख-देख
आता कछुए का ध्यान!

दिखते हैं जो खटमल जैसे
पत्ते हैं इमली के,
सेही के शरीर-से होते
पत्ते नागफनी के!

पात खजूरों के लगते हैं
तरकश के-से बान!