Last modified on 2 अक्टूबर 2015, at 21:12

बजे नगाड़े, बरसे मोती / पद्मा चौगांवकर

Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:12, 2 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पद्मा चौगांवकर |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आसमान में
बजे नगाड़े,
या बुढ़िया-
दलती सिंघाड़े!
भूरे काले बादल,
जोर-जोर से
पढ़ें पहाड़े।

झर-झर बूँदें,
बरसे मोती,
बुढ़िया अपनी
चकिया धोती!

या फिर-
कोई छोटी बदली,
कक्षा में
पिटकर है रोती!