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बरसो राम / निरंकार देव सेवक
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बरसो राम धड़ाके से,
बुढ़िया मर गई फाके से!
गरमी पड़ी कड़ाके की,
नानी मर गई नाके की!
घबराई मछली रानी,
देख नदी में कम पानी।
पेड़ों के पत्ते सूखे,
धोबी के लत्ते सूखे।
जब सब मिलकर चिल्लाए,
उमड़-घुमड़ मेघा आए।
ओले बरसे टप-टप-टप,
हमने खाए गप-गप-गप।