भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चिड़िया आने वाली है / नरेंद्र मस्ताना

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:17, 6 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेंद्र मस्ताना |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

माँ, चावल के दाने दे दो
चिड़िया आने वाली है,
चीं-चीं करके फुदक-फुदककर
गीत ुसनाने वाली है!

एक नहीं दो-चार नहीं
ये दस-बारह आ जाती हैं,
दाना-पानी सब रक्खा है
फिर भी शोर मचाती हैं।
शायद भूल गईं जो आना,
उन्हें बुलाने वाली हैं!

देखो भैया, इस चिड़िया के
कितने प्यारे बच्चे हैं,
नन्हे-नन्हे पाँव सभी के,
पंख अभी कुछ कच्चे हैं।
कल कैसे उड़ना है,
चिड़िया इन्हें बताने वाली है!

माँ, मेरे भी पंख लगा दे
मैं भी चिड़िया बन जाऊँ,
उड़ते-उड़ते, उड़ते-उड़ते,
आसमान तक हो आऊँ।

तू मत डरना, प्यारी चिड़िया
प्रीत निभाने वाली है!