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साफ-सुथरो घर / रचना शेखावत
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ढक देवूं रोसनदान री जाळी
बारणै पर स्प्रिंग लगवा देवूं
कै कबूतरां-चिड़कल्यां रै
घर बणावण री रुत है!
रैवूं एकली राजी
घर साफ-सुथरो है
कठैई न तिणकलो
न कचरो है!