सीर का घर
रचनाकार | वासु आचार्य |
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प्रकाशक | साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली |
वर्ष | 2015 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत राजस्थानी कविताओं का हिंदी अनुवाद |
पृष्ठ | 100 |
ISBN | 978-81-260-4554-9 |
विविध | अनुवाद : अनिरुद्ध उमट |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
सीर का घर / अनुवाद : अनिरुद्ध उमट
- सीर का घर (शीर्षक कविता) / वासु आचार्य
- जूझना बहुत मुश्किल होता है / वासु आचार्य
- याद आते बापू याद आती माँ / वासु आचार्य
- पूरी पूरी रात / वासु आचार्य
- बढ़ता ही जाता यात्री / वासु आचार्य
- सुलगता है भीतर-ही-भीतर / वासु आचार्य
- नए ऐसे अक्षर / वासु आचार्य
- अब गूँजने लगते अक्षर / वासु आचार्य
- जी गया बादल / वासु आचार्य
- जीवन का अर्थ / वासु आचार्य
- बदलाव / वासु आचार्य
- पेड़ : बरखा / वासु आचार्य
- वे दो आँखें / वासु आचार्य
- थक रही है धूप / वासु आचार्य
- सन्नाटा-धूप का पोर-पोर / वासु आचार्य
- नहीं पहुँचेगा संदेश / वासु आचार्य
- क्या वह गिरगिट नहीं / वासु आचार्य
- देवता / वासु आचार्य
- इस वसंत में / वासु आचार्य
- सब्ज़्बाग़ की हवा / वासु आचार्य
- इस हालत में / वासु आचार्य
- शब्द ही है जीवन / वासु आचार्य
- झिलमिलाने लगी नथनी / वासु आचार्य
- भीतर से हरा / वासु आचार्य
- अभी तक चिड़िया उड़ रही है / वासु आचार्य
- तो जान लेना / वासु आचार्य
- मैंने उससे कहा / वासु आचार्य
- काल के काले पदचिह्न / वासु आचार्य
- रेतीला चक्रवात / वासु आचार्य
- खोखले बादल / वासु आचार्य
- पर आकाश नहीं टपकता / वासु आचार्य
- फ़र्क तेरे और मेरे बीच / वासु आचार्य
- शब्द-शब्द - फिर शब्द / वासु आचार्य
- डूब गया और डुबा गया मकर का सूर्य / वासु आचार्य
- दीपक और हवा / वासु आचार्य
- छटपटाहट / वासु आचार्य
- इतनी मुस्कान / वासु आचार्य
- कान्हा का वृंदावन हो गया / वासु आचार्य
- ढलकती आँख से / वासु आचार्य
- तू नारायण हो गया / वासु आचार्य