पुरानी किताब के
शुष्की पृष्ठों के मध्यय
जन्मक-जन्मों. के वादे 
दबी खिलखिलाहट 
कोरी मीठी छुअन
और कसम की 
याद के आसरे
अब तक जी रहे
ओ सूखे गुलाब
सुन !  बोल !!
किसकी है प्रतीक्षा 
कौन सुनेगा गाथा 
तेरी खामोशी दर्ज है
उस बियाबां में
जहां प्रतिध्वंनि 
की रवायत 
कभी थी ही नहीं....