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फूलों का गाँव / मुइसेर येनिया

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अपनी जगह पर खड़े रहना
मैंने एक फूल से सीखा

कोई दूसरा सूर्य नहीं देखा
कोई दूसरा पानी भी नहीं पिया

मैंने अपनी जड़ों को गाँव के रूप में पहचाना
अपनी धरती को आकाश माना

ऋतुएँ गुज़रती रहीं मेरे ऊपर से
चींटियों की एक बाँबी, अभिन्न मित्र

मैंने सीखा फूल होना
बिना रुके
खड़े रहने से ।