भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पीढ़ी दर पीढ़ी / रेखा चमोली
Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:34, 13 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेखा चमोली |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
इतने वर्षों के साथ में
कभी ख्याल भी न आया
जब देखी कोई सिकुड़न कहीं
खुल कर बात की सबसे प्रेम से
डरा धमकाकर
सुधारा
जो भी बिगड़ता दिखा आसपास
फिर भी
कहां चूक हो गयी जो
उसका विश्वास डगमगाया
नहीं बुलाया
अपने भाई की शादी में
गुपचुप किया सब
फिर नहीं आया कई दिन स्कूल
इस तरह
एक और पीढ़ी पुख्ता हुई जाति !