Last modified on 13 दिसम्बर 2015, at 15:22

किश्तों में बीते दिन / कुमार रवींद्र

Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:22, 13 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार रवींद्र |अनुवादक= |संग्रह=च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

फिर राजा-रानी के
            किस्सों में रात कटी
 
टूटे घर-नीड़ों में
परियों के पंख हिले
जंगल के बीच मिले
ऊँचे सुनसान किले
 
किश्तों में दिन बीते
             हिस्सों में बात बँटी
 
आदमकद शीशों में
सपनों के अक्स पले
महलों में जश्न हुए
परजा के हाथ जले
 
घटनाएँ खतरों की
           अपनों के साथ घटीं