भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मेरे पिता / सबीर हका
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:06, 19 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सबीर हका |अनुवादक=गीत चतुर्वेदी |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अगर अपने पिता के बारे में कुछ कहने की हिम्मत करँ
तो मेरी बात का भरोसा करना,
उनके जीवन ने उन्हें बहुत कम आनन्द दिया
वह शख़्स अपने परिवार के लिए समर्पित था
परिवार की कमियों को छिपाने के लिए
उसने अपना जीवन कठोर और ख़ुरदुरा बना लिया
और अब
अपनी कविताएँ छपवाते हुए
मुझे सिर्फ़ एक बात का संकोच होता है
कि मेरे पिता पढ़ नहीं सकते।
अँग्रेज़ी से अनुवाद -- गीत चतुर्वेदी