भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बयाबां और बस्ती / उज्ज्वल भट्टाचार्य
Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:51, 19 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उज्ज्वल भट्टाचार्य |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मैंने सुना था
बयाबां की सरहद पर
शुरू होती है बस्ती
जहां मिलते हैं
अपने भी.
मैंने बस्ती देखी
और लेौट चला बयाबां की ओर.