भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फागुन बौड़ायल / शिव कुमार झा 'टिल्लू'

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:24, 19 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिव कुमार झा 'टिल्लू' |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सरस रभस रसमास हे फागुन बौड़ायल
मज्जर रंग सुवास हे श्रृंग लहरि अौनायल

पूसक मारि सँ बाबी बचलनि
देखि छगुन्ता धिया सभ नचलनि
गमगम पात पलाश हे भंग भृंग मतायल
 मज्जर रंग सुवास हे श्रृंग लहरि अौनायल ...
माघक शीत सोहनगर लागल
कनकन जाड़ पच्छिम दिशि भागल
पछवा वातक आश हे सुनि चाम घमायल
 मज्जर रंग सुवास हे श्रृंग लहरि अौनायल ...
ऋतुराजक सगरो छनि चरचा
हर्ख मुदित मन बांटथि परचा
कूकू स्वरक विलास हे रसगङ्ग बहायल
 मज्जर रंग सुवास हे श्रृंग लहरि अौनायल ...
हरियर गाछ सुमन संग महमह
सोझा बाट कर्म रंग खहखह
लहलह भू कैलाश हे रंग व्योम उड़ायल
 मज्जर रंग सुवास हे श्रृंग लहरि अौनायल ...
नवल धवल उपहार सकारू
पैसल कोढ़िया व्याधि कें मारू
कर्म अटल विश्वास हे ई उमंग बुझायल
 मज्जर रंग सुवास हे श्रृंग लहरि अौनायल ...