भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सोन-मछली / अज्ञेय

Kavita Kosh से
Dr.jagdishvyom (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 20:48, 13 फ़रवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह=अरी ओ करुणा प्रभामय / अज्ञेय }} हम निहारत...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हम निहारते रूप

काँच के पीछे

हाँप रही है, मछली ।


रूप तृषा भी

(और काँच के पीछे)

हे जिजीविषा ।